Bhutan Ki Rajdhani Kahan Hai-भारत और तिब्बत के बीच हिमालय (Himalaya) में बसा हुआ दक्षिण एशिया (South Asia) महाद्वीप में एक छोटा सा देश है, जिसका नाम भूटान है। इसकी ज्यादातर जमीन पहाड़ी है। यह एक पर्वतीय राष्ट्र है। इस देश का थोड़ा सा ही भाग समतल भूमि पर स्थित है। इस देश की संस्कृति और धार्मिक स्थल तिब्बत के संस्कृति से मेल खाते है। परंतु भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों के दृष्टिकोण से यह भारत के जैसा ही है।
दक्षिण एशिया में स्थित भूटान देश हिमालय के पूर्व में स्थित है। भूटान के उत्तर में तिब्बत का क्षेत्र, दक्षिण में भारत के सिक्किम राज्य और पश्चिम में तिब्बत की चुम्बि घाटी तथा पूर्व में भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश द्वारा घिरा हुआ है।
यह देश लगभग 38,394 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह दुनियाँ का 133 वां सबसे बड़ा देश है।
भूटान एक बहुत ही अद्भुत देश है। कुछ वर्ष पहले तक यह एक बहुत गरीब देश हुआ करता था लेकिन आज के समय में इसने अपनी economic स्थिति में काफी growth की है। एक तरफ दुनियाँ जहाँ polythene थैलियों के use करने से पर्यावरण की समस्याओं से जूझ रही है,वहीं पर भूटान में प्लास्टिक की थैलियां 1999 से ही प्रतिबंधित हैं। पर्यावरण के लिए जहाँ भारत में सिर्फ 23% ही वृक्ष है वहीं भूटान में कानूनन 60 % भाग में जंगल होना ही चाहिए। यहाँ पर तंबाकू खाना भी वर्जित है।
Bhutan Ki Rajdhani Kahan Hai
जोङखा(Dzongkha) भूटान की राष्ट्रीय भाषा है।
जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (jigme khesar naamagyaal vaangachuk) भूटान साम्राज्य के ड्रुक ग्यालपो या “ड्रैगन किंग” हैं। अपने पिता जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के सिंहासन छोड़ने के बाद, वह 9 दिसंबर 2006 को सम्राट बनें।
भूटान की राजधानी का नाम क्या है?
पर्वतीय राष्ट्र भूटान की राजधानी का नाम थिम्फू (Thimphu) है। थिम्फू शहर भूटान में स्थित एकमात्र सबसे बड़ा शहर है। थिम्फू भूटान के पश्चिमी मध्य भाग में स्थित है।
थिम्फू से पहले भूटान की राजधानी पुनाखा (Punakha) थी परन्तु बाद में थिम्फू को भूटान की राजधानी के रूप में स्थापित किया गया। थिम्फू को 1961 में भूटान की राजधानी बनाया गया था।
थिम्फू विश्व की पाँचवीं सबसे ऊँची राजधानी है।इसकी ऊँचाई 2,248 मीटर (7,375 फुट) से लेकर 2,648 मीटर (8,688 फुट) तक है।
यह भूटान का सबसे बड़ा शहर है। यहाँ की जनसँख्या लगभग 100,000 (1 लाख) है।
सबसे काम जनसंख्या वाले विश्व के देशों में भूटान मालदीव के बाद दूसरे स्थान पर है।
राजधानी बनने से पहले थिम्फू शहर की आबादी बहुत कम थी। वास्तव में इस शहर का एक शहर जैसा अस्तित्व ही नहीं था। परन्तु 1955 में भूटान की राजधानी बनने के बाद से इस शहर की स्थिति में काफी बदलाव आये। थिम्फू में पहला वाहन सन 1962 में दिखाई दिया था। राजधानी बनने के बाद इस शहर ने बहुत तरक्की की और वर्तमान में भूटान की सबसे ज्यादा आबादी का इसी शहर में है। भूटानी नगुल्टम (Bhutanese Ngultrum) है भूटान कि मुद्रा और । यहाँ मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय (Tropical) जलवायु है।
सभ्यता और संस्कृति
भूटान विश्व के उन गिने चुने देशों में से है जो खुद को सारे संसार से अलग-थलग रखता चला आ रहा है। आज भी काफी हद तक यहाँ विदेशियों का प्रवेश नियंत्रित है। देश की अधिकांश आबादी छोटे-छोटे गाँव में रहती हैं और कृषि पर निर्भर हैं। वर्तमान में शहरीकरण धीरे धीरे अपने पाँव जमा रहा है।
बौद्ध विचार यहाँ की ज़िंदगी का अहम हिस्सा हैं।
पर्यटकों को लुभाने के लिए ‘द लास्ट शैंगरी-ला’ और ‘द लैंड ऑफ द पीसफुल थंडर ड्रैगन’ के नाम से जाने जाने वाले इस देश के पास बहुत सी चीजें हैं। दूर से ही नजर आने वाली बड़ी पहादियाँ, हरे-घने जंगल, मनोरम घाटियां, पुराने समय के अवशेष और अपने आप में अलग सभ्यता, ये सारी बातें इस छोटे से धर्म-शासित देश को ऊंचा स्थान देते हैं।
यहाँ विभिन्न प्रकार के मेडिसिनल पौधे पाए जाते हैं, इस कारण इसको ‘सदर्न वैली ऑफ मेडिसिनल हर्ब्स’ भी कहा जाता है।
भूटान कैसे पहुंचे ?
पहले भूटान में प्रवेश करना बहुत कठिन होता था। दक्षिण में घने जंगलों और उत्तर में ऊंचे जमे हुए दर्रों के कारण भूटान में प्रवेश करना बहुत ही असम्भव था। परंतु आज के समय आर्थिक विकास के कारण कई अंतरराष्ट्रीय और कई घरेलू हवाई अड्डों की मदद से भूटान जाना काफी सुलभ बन गया है।
फुएंत्शोलिंग और गेलेफू दो प्रवेश मार्ग हैं, जो भारतीय राज्यों पश्चिम बंगाल और असम से जुड़ते हैं।
हवाई मार्ग से:
भारत में दिल्ली एक ऐसा शहर रहा है जिसकी भारतीय शहरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्थानों से अच्छी कनेक्टिविटी है। दिल्ली से भूटान के लिए कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भूटान के पारो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ान हैं। दिल्ली से उड़ानें दक्षिण-मध्य भूटान में गेलेफू हवाई अड्डे के लिए भी उपलब्ध हैं।
दो एयरलाइंस, ड्रक एयरलाइंस और भूटान एयरलाइंस भूटान में कैरियर सेवाएं हैं। ड्रक एयरलाइन भूटान की राष्ट्रीय वाहक है और नियमित रूप से चलती है। भूटान एयरलाइंस दिल्ली से सप्ताह में कुछ ही रहती है। गुवाहाटी या कोलकाता से भूटान के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट ले है।
ट्रेन से:
नई दिल्ली से भूटान के लिए कोई सीधी ट्रेन सेवा नहीं है। नई दिल्ली से कोलकाता, गुवाहाटी, सिलीगुड़ी और हासीमारा शहर के लिए ट्रेनें हैं। भूटान पहुँचने के लिए आगे की यात्रा सड़क मार्ग से बस या कार से की जा सकती है। भूटान सरकार की सरकारी बसें कोलकाता और हासीमारा से भूटान के फुएंत्शोलिंग शहर के लिए नियमित रूप से चलती हैं। कोलकाता से फुएंत्शोलिंग पहुंचने में लगभग 22 घंटे लगते हैं। गुवाहाटी और सिलीगुड़ी से भूटान की सड़क यात्रा में लगभग 12 घंटे का समय लगता है।
सड़क मार्ग से:
सड़क मार्ग के जरिए भारत में बगडोगरा से बस के जरिए भूटान पहुंचा जा सकता है। इस रूट की लंबाई लगभग 175 किलोमीटर है। भूटान के इस एंट्री पॉइंट से राजधानी थिंपू जाने का रास्ता लगभग 200 किलोमीटर का है। सड़क के रास्ते जाते हुए भूटान की अलौकिक प्राकृतिक सुंदरता को जमकर निहारा जा सकता है। भूटान दो मार्गों से कारों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। परन्तु सबसे पसंदीदा मार्ग NH 27 से फुएंत्शोलिंग का मार्ग है, जिसमें करीब 28 घंटे लगते हैं।
निष्कर्श
भूटान की सबसे बड़ी खासियत यहाँ का कल्चर है। इस देश पर कभी दूसरे देश ने राज नहीं किया। इसी कारण यहाँ की संस्कृति में किसी तरह की कोई मिलावट नहीं है। अपने कल्चर की पहचान को बरकरार रखने के लिए भूटान सरकार ने वहाँ के नागरिकों को पब्लिक स्थानों पर नैशनल ड्रेस पहनने के आदेश जारी कर रखे हैं।