दिल्ली की राजधानी क्या है | Delhi Ki Rajdhani Kahan Hai

दोस्तों आज के अर्टिकल के द्वारा आपको दिल्ली की राजधानी के बारे में जानकारी दी जा रही है। 

दिल्ली की राजधानी क्या है और Delhi Ki Rajdhani Kahan Hai

यमुना नदी के किनारे स्थित दिल्ली भारत के उत्तर में 28.61 अक्षांश और 77.23 देशांतर पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 227 मीटर है।

1483 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला दिल्ली शहर मुंबई के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर हैं। यहाँ की जनसंख्या लगभग 1.9 करोड़ है। 

प्राचीन ग्रंथ “महाभारत” में भी दिल्ली का उल्लेख मिलता है, जो उस समय ‘इंद्रप्रस्थ’ के नाम से जाना जाता था और पांडवों की राजधानी हुआ करती थी।

दिल्ली की राजधानी क्या है?

दिल्ली भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है। दिल्ली क्षेत्र में ही नई दिल्ली भी शामिल है, जो केंद्र शासित एवं महानगर दिल्ली की राजधानी है। वर्तमान में नई दिल्ली भारत की भी राजधानी है। जनसंख्या के मामले में मुंबई के बाद दूसरा सबसे बड़ा महानगर दिल्ली है।

क्या है दिल्ली का इतिहास

दोस्तो, दिल्ली का इतिहास काफी पुराना है। भिन्न-भिन्न समय में अनेक राजाओं ने यहाँ पर शासन किया। मुगलकालीन बादशाह बहादुर शाह जफर दिल्ली के आखिरी मुगल बादशाह थें। ऐसा माना जाता है कि दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान थें। 

इसके बाद दिल्ली मुगल, तुर्क, अफगान, अरबों और अंग्रेजों की राजधानी रही थी।

पहले कलकत्ता जो अब कोलकाता के नाम से जाना जाता है, को भारत की राजधानी  बनाई गई थी ।

फरवरी 1931 को दिल्ली आधिकारिक तौर पर राजधानी बनी। भारत की राजधानी के कलकत्ता से दिल्ली रूपांतरण के मुख्य दो कारण है।

  • एक तो भारतीय परिषद अधिनियम 1909। 
  • दूसरा बंगाल विभाजन से जारी संकेत। 

12 दिसंबर 1911 में कलकत्ता के स्थान पर दिल्ली को देश की राजधानी बनाने का फैसला किया गया था।

ब्रिटेन के राजा रानी जो उस समय भारत आए हुए थे, उन्होंने ही दिल्ली के बाहरी इलाके में आयोजित दिल्ली दरबार में ऐलान किया कि भारत की राजधानी कलकत्ता की बजाय अब दिल्ली होगी।

दरअसल अंग्रेजों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्‍ली को राजधानी बनाया जाए तो अच्छा होगा क्‍योंकि दिल्ली देश के उत्तर में है और यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से किया जा सकेगा। असल में अंग्रेज एक ऐसी जगह चाहते थें, जहाँ पर वो साल के सभी मौसमों में रह सकें। देश के विभिन्न स्थानों को देखने के बाद उन्होंने दिल्ली को ही उपयुक्त समझा। यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता था ।

इसके अतिरिक्त महाभारत और मुग़ल साम्राज्य के साथ दिल्ली का संबंध हिंदू और मुसलमान दोनों के लिये गौरव का प्रतीक था। इन्हीं भौगोलिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारणों के आधार पर राजधानी के रूप में दिल्ली को ही पसन्द किया गया। दिल्ली मे भारत के विभिन्न राज्यों के लोगो के रहने के कारण यहाँ पर हिन्दी, अंग्रेज़ी, पंजाबी, उर्दू का एक अनोखा  संगम देखने को मिलता है। 

ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान भारत के शासक किंग जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 में दिल्ली दरबार में इसकी आधारशिला रखी थी। ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर हरबर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने एक नये शहर की योजना बनाई जिसको पूरा करने में दो दशक लग गए थे। उसके पश्चात् 13 फरवरी 1931 को आधिकारिक रूप से दिल्ली को देश की राजधानी घोषित किया गया। 

इसके बाद इसका नाम दिल्ली (100 ईसा पूर्व) पड़ा। दिल्ली के बाद सूरज कुण्ड (1024 ईसवी) में राजधानी बनी जो अब नई दिल्ली का ही एक इलाका है और बदरपुर के पास है। इसके पश्चात् इसका नाम लाल कोट पड़ा जो राजाओं की राजधानी बनी। 

प्रथम निर्मित नगर वर्तमान दिल्ली क्षेत्र में लाल कोट की स्थापना तोमर शासक राजा अनंग पाल ने 1060 में की थी। तोमर वंश ने दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में सूरज कुण्ड के पास शासन किया। उसके बाद 12 वीं शताब्दी में चौहान राजा, पृथ्वी राज चौहान ने शासन ले लिया और उस नगर एवं किले का नाम किला राय पिथौरा (1170 ईसवी) रखा। 1303 ईसवी में अलाउद्दीन ख़िलजी ने  सिरी शहर का निर्माण किया। 1320 ईसवी में गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद शहर की स्थापना की। जो आज भी  दिल्ली का हिस्सा है।

दिल्ली का चौथा मध्ययुगीन शहर 1334 ईसवी में जहांपनाह शहर को मुहम्मद-बिन-तुगलक ने बनवाया। इसे मंगोलों के लागातार हो रहे आक्रमण से बचने के लिये बनवाया गया था। वर्तमान में यह दक्षिणी दिल्ली में स्थित है। इस तरह 1351 ईसवी में फिरोजाबाद,  1415 ईसवी में ख़िज़राबाद, 1433 ईसवी मे मुबारकाबाद, 1530 ईसवी में दिनपनाह और फिर 1542 ईसवी में दिल्ली बसाया गया।

इसके बाद महान मुगल शासक शाहजहां ने 1648 में शाहजहानाबाद का निर्माण करवाया। शाहजहां के समय दिल्ली पहले की अपेक्षा ज्यादा आकर्षक रहा। 

दिल्ली में लाल किला और जामा मस्जिद इसके उदाहरण हैं। उस समय के शाहजहानाबाद शहर को आज पुरानी दिल्ली के नाम से जानी जाती है।

दिल्ली का प्राचीन नाम तो इंद्रप्रस्थ ही है। दिल्ली का ज़िक्र तो महाभारत काल से ही मिलता है। जो पुरातन समय में राजधानी रही। आज इंद्रप्रस्थ नाम से दिल्ली में एक इलाका है। उस जगह आज पुराने किले के खंडर हैं।

हालांकि दिल्ली पर हुकूमत करने वालों ने अनेकों बार इसे लूटा और फिर बसाया। इस तरह से दिल्ली कई बार बसी और कई बार उजड़ी। इसके बावजूद इस शहर की खासियत है यहाँ की गंगा-जमुनी तहजीब। हर धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग यहाँ एकसाथ एक धार्मिक स्थान पर देखे जा सकते हैं। निजामुद्दीन औलिया और बख्तियार काकी के मजार में आज भी विभिन्न जातियों और मजहबों के लोग एकसाथ देखने को मिलता है। बंगला साहिब गुरुद्वारा तो इस शहर की शान है। यहाँ अक्षरधाम मंदिर नए निर्माण की एक अद्भुत आकर्षक केन्द्र है। 

दिल्ली बहुत लंबे समय तक बहुत सारे राजाओं की राजधानी रही है,इसलिए यहाँ पर अत्यंत सुंदर और शानदार निर्माण कार्य कराए गए। जिनमें कुतुब मीनार, जामा मस्जिद, लाल किला, इंडिया गेट चांदनी चौक, कनॉट प्लेस तथा जंतर मंतर आदि प्रमुख है।

निष्कर्ष

आज के समय में दिल्ली का प्रशासन भारत के संविधान के अनुसार संचालित होता है। दिल्ली में भारत की तीनों पालिकाएँ न्यायपालिका कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के कार्यालय संचालित होते हैं। सम्पूर्ण देश का संचालन दिल्ली से ही किया जाता है। अरावली पहाड़ियों से घिरे हुये दिल्ली मे अनेक विश्व धरोहर होने के कारण देशी विदेशी पर्यटकों के भी आकर्षण का केंद्र रहा हैं। 

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