IP Full Form in Hindi|आईपी का फुल फॉर्म क्या है

आज का हमारा आर्टिकल IP Full Form पर आधारित है।

इंटरनेट के बारे में तो आप सभी जानते हैं और मानव और इंटरनेट का रोजमर्रा की जिंदगी में एक दूसरे से गहरा संबंध है। इंटरनेट एक ऐसी सुविधा है जिसकी सहायता से मानव के कई कार्य संपन्न होते हैं।

IP Full Form

यह बात आप जानते होंगे कि हर देश की अपनी सरकार होती है और उस सरकार के अपने नियम और कानून होते हैं और इन कानूनों के द्वारा ही वह जनता को नियंत्रित करती है और सुविधा का पालन करने का निर्देश देते हैं ठीक इसी प्रकार इंटरनेट के प्रोटोकॉल होते हैं।

क्या आपने कभी जानने की कोशिश की इंटरनेट के क्या प्रोटोकॉल हो सकते हैं? आज हम इंटरनेट से जुड़े कुछ प्रोटोकॉल के बारे में जानेंगे।

IP Full Form internet Protocol है। IP फुल फॉर्म हिंदी में इंटरनेट प्रोटोकॉल है।

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इंटरनेट प्रोटोकॉल क्या है?

जैसे हमें सड़क पर यातायात का प्रयोग करते समय हमें यातायात के नियमों का पालन करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय हमें इंटरनेट के प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है।

इंटरनेट एवं अन्य नेटवर्क पर एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर निर्धारित डांटा को स्थानांतरित करना या भेजना इंटरनेट के प्रोटोकॉल के द्वारा ही संभव होता है। इस पूरी प्रक्रिया में जिन निर्देशों का पालन करके एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा भेजा जाता है उन्हें ही इंटरनेट का प्रोटोकॉल कहा जाता है। इन नियमों को इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर द्वारा इंटरनेट के प्रोटोकॉल के संदर्भ में बनाया गया था।

यह इंटरनेट प्रोटोकोल ही डाटा को स्थानांतरित करने या भेजने एवं अन्य नेटवर्क, एजेंसी, देश- विदेश से डाटा प्राप्त करने तथा अन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए काम करते हैं।

जब भी एक इंटरनेट की सहायता से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर डाटा भेजा जाता है तो उसे कई छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित किया जाता है। इस विभाजन या टुकड़ों को आईपी पैकेट (IP Packet) या डाटा ग्राम ( DataGram) कहते हैं। 

इस डाटा ग्राम में Sender और Receiver की जानकारी होती है जो Ip Information कहलाती है। इंटरनेट प्रोटोकॉल का काम केवल डेटा का आदान प्रदान करना है इसमें भेजने वाले और प्राप्त करने वाले का प्रत्यक्ष रूप से कोई जुड़ाव नहीं होता है।

डाटा ग्राम का संचालन एक अन्य नियम ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल (TCP) के तहत किया जाता है।

IP Packet में किस प्रकार की जानकारी होती है?

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि आईपी पैकेट संपूर्ण डाटा का एक टुकड़ा होता है। आईपी पैकेट के अंदर वह सभी सूचना होती है जिसके आधार पर वह डाटा को Receiver के पास डिलीवर करता है। आईपी पैकेट के अंदर निम्नलिखित जानकारी होती है-:  

  1. आईपी ​​संस्करण (IP Version)
  2. आईपी ​​हैडर लंबाई ( IP Header Length)
  3. सेवा ( Service)
  4. कुल लंबाई ( Total Length)
  5. पहचान ( Identification)
  6. झंडे ( Flags)
  7. टुकड़ा ऑफसेट ( Fragments Offset)
  8. जीने के लिए समय ( Time to Live)
  9. शिष्टाचार ( Protocol)
  10. हैडर चेकसम ( Header Checksum)
  11. स्रोत आईपी पता ( Source IP address)
  12.  गंतव्य आईपी पता ( Destination IP Address)
  13. विकल्प ( Options)
  14. आंकड़े ( Data)

Ipv4 और Ipv6 क्या है?

जब भी आपने इंटरनेट के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की होगी तो आपको ipv4 और ipv6 जैसे शब्द जरूर दिखाई दिए होंगे।

दरअसल ipv4 और ipv6 ऐसे मानक है जिनके भीतर करोड़ों आईपी ऐड्रेस जुड़े हुए हैं। आईपी ऐड्रेस वह जानकारी होती है जिससे डाटा भेजने वाले (Sender) तथा प्राप्तकर्ता ( Receiver) के कंप्यूटर की कनेक्टिविटी तथा एड्रेस का पता चलता है।

इंटरनेट से करोड़ों कंप्यूटर जुड़े हुए हैं और डेटा की सुरक्षा के लिए आईपी एड्रेस का होना आवश्यक है। आईपी ऐड्रेस से इंटरनेट की सहायता से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर भेजे जाने वाले डाटा सुरक्षित रहता है और उसकी सही जानकारी पता की जा सकती है।

Ipv4

ipv4 एक इंटरनेट प्रोटोकोल है। यह इंटरनेट की दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग किए जाने वाला प्रोटोकॉल है। ipv4 की सहायता से विभिन्न आईपी एड्रेस को विभाजित किया जाता है। ipv4 को 1970 में बनाया गया था। यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का fourth version है।

ipv4 में लगभग 4.30 बिलियन आईपी ऐड्रेस शामिल थे और हर इंटरनेट यूजर दो से अधिक डिवाइस का उपयोग कर रहा था। ऐसे में यह आवश्यकता देखी गई कि इस संख्या से अधिक डिवाइस के लिए ipv4 वर्जन अन्य आईपी ऐड्रेस प्रदान नहीं कर पाएगा तथा भविष्य के लिए एक अन्य आईपीवी प्रोटोकॉल का निर्माण करना पड़ेगा।

Ipv6

जब यह बात स्पष्ट हो गई कि ipv4 और अधिक आईपी ऐड्रेस आवंटित नहीं कर पाएगा तब ipv6 का गठन किया गया। ipv6 ipv4 का अपग्रेड वर्जन था जो साल 1998 किया गया था और यह 90 के दशक में इंटरनेट के वैश्वीकरण को देखते हुए इंटरनेट डिवाइस के लिए आईपी ऐड्रेस प्रदान करने के लिए बनाया गया था।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको इंटरनेट प्रोटोकॉल से संबंधित जानकारी दी है।

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