BIS full Form Bureau of Indian Standards होता है जिसका हिंदी में फुल फॉर्म भारतीय मानक ब्यूरो होता है। यह एक मानक होल मार्क है जो कि बहुमूल्य धातुओं पर मोहर के द्वारा एक कोड के रूप में लगा दिया जाता है। इस मानक हॉलमार्क के लगाए जाने का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि बहुमूल्य धातुओं में हो रही मिलाबट को रोका जा सके।
यह मानक हॉलमार्क ज्यादातर Gold, Platinum और Silver आदि जैसी बहुमूल्य और महंगी धातुओं पर ज्यादातर उपयोग किया जाता है। चूंकि इन्ही महंगी धातुओं में मिलाबट सबसे अधिक सामने आती है इसीलिए इस हॉलमार्क के द्वारा मिलाबट को रोका जाता है जिससे वह धातुएं बाजार में अधिक से अधिक शुद्ध होने के लिए प्रमाण पा लेती है।
BIS Full Form–BIS क्या होता है
यह एक हॉलमार्किंग की सुविधा है जो बहुत समय पहले से चली आ रही है। केवल भारत मे ही नहीं अलग-अलग देशों में धातु की शुद्धता को मापने के लिए हॉलमार्किंग की जाती है और यह तय किया जाता है कि वह धातु शुद्व है। हालांकि इससे यह भी पता चलता है कि प्रमाणित धातु का कितना प्रतिशत भाग शुद्ध है और इसमें कितना प्रतिशत मिलाबट की गई है। उदाहरण के तौर पर भारत मे Gold की शुद्धता को मापने के लिए 22 कैरेट का उपयोग किया जाता है जिसमे BIS हॉलमार्क कोड 966 होता है। इस प्रमाणिक हॉलमार्क कोड के अनुसार उस Gold की शुद्धता 96.6% है।
गोल्ड के तरह ही BIS हॉलमार्क अन्य धातुओं पर भी लगाया जाता है और शुद्धता कोड दर्ज किया जाता है एवं शुद्धता का प्रतिशत ज्ञात कर लिया जाता है।
BIS हॉलमार्क की शुरुआत कब हुई ?
भारत मे बीआईएस हॉलमार्क की शुरुआत सन 2000 में Gold की धातुओं के लिए की गई थी। इसके बाद सन 2005 में इस योजना को चांदी की धातुओं के लिए भी लागू कर दिया गया। हालांकि BIS को अभी तक कोई कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं हैं।
BIS के लाभ क्या है
चूंकि यह एक शुद्धता मापने के लिए बनाया गया हॉलमार्क है इसीलिए इससे बहुमूल्य धातुओं की शुद्धता मापी जाती है। इसके अलावा भी यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था बनाये रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। BIS के लाभ हमने आपको नीचे दिए हुए है,
- BIS के कारण उपभोक्ता बहुमूल्य धातुओं में हो रही मिलाबट से बच जाते हैं।
- BIS के द्वारा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मदद मिलती रहती है।
- BIS से स्वास्थ्य संबंधी खतरों के अंदेशा कम हो जाता है और उपभोक्ता सुरक्षित रहते है।
- BIS के द्वारा आयात और निर्यात के साधनो में भी बढ़ोतरी होती है।
- BIS के द्वारा धातुओं की शुद्धता का प्रतिशत ज्ञात हो जाता है।
BIS की उत्पाद योजनाएं
बीआईएस के सम्बद्ध कई प्रकार की योजनाओं को चलाया जाता है जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं निम्नलिखित है-
1.हॉल-मार्किंग योजना
2.उत्पाद प्रमाणीकरण योजनाएं
3.प्रयोगशाला पहचान योजना
4.विदेशी निर्माता प्प्रमाणीकरण योजनाएं
5.उपभोक्ता संबंधित गतिविधियां आदि