Maharana Pratap Jayanti 2024-महाराणा प्रताप जयंती कब मनाई जाती है

महाराणा प्रताप जयंती– हमारा भारत देश महान वीरों का देश रहा है। यहाँ कई राजा – महाराजा ऐसे हुये जिनकी वीरगाथा हर किसी के लिए आदर्श बनी हुई है। महाराणा प्रताप राजस्थान के राजपूत योद्धा थे जिनका जन्म मेवाड़ के कुम्भलगढ़ (राजस्थान) किले में सिसोदिया राजपूत वंश में हुआ था। वह एक ऐसे योद्धा थे जिनके बलिदान, वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण की वीरगाथा समूचे भारत मे अमर है।

महाराणा प्रताप के समय भारत पर मुगल साम्राज्य अपने विस्तार पर था और उस समय मुगलिया सल्तनत का बादशाह अकबर था। महाराणा प्रताप ने अपने जीवनकाल में कई युद्ध लड़े जिनमे से अधिकांश युद्ध मुगलों के ख़िलाफ़ रहे। उन्होंने मुगल बादशाह अकबर से भी कई युद्ध किये जिनमे मुगलों को महाराणा प्रताप की वीरता और साहस ने घुटनो पर ला दिया। 

महाराणा प्रताप जयंती

वैसे तो महाराणा प्रताप को भारत का हर नागरिक जानता ही है उनकी वीरगाथा हर हिंदुस्तानी को याद है। उन्होंने अपने शौर्य और बलिदान से अपना नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया है जिसके आगे हर कोई भारतीय नतमस्तक है। महाराणा प्रताप के वीरता और शौर्य को याद करते हुए हमारे भारत मे प्रत्येक वर्ष दो बार महाराणा प्रताप जयंती बनायी जाती है। लेकिन कई लोगो को इस बारे में जानकारी नहीं है। चलिए जानते हैं महाराणा प्रताप जयंती कब आती है, एवं इस वर्ष महाराणा प्रताप जयंती 2022 में कब है 

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Maharana Pratap Jayanti kab manae jaati hai

इतिहासकारो के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ किले (वर्तमान में:कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजसमंद जिला, राजस्थान, भारत) में हुआ था जो आज के समय मे भी मेवाड़ में स्थित है। इसी दिन उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में महाराणा प्रताप जयंती मनाई जाती है

महाराणा प्रताप के पिता मेवाड़ के महाराजा उदय सिंह की पत्नी जयवंताबाई महाराणा प्रताप की माता थी। किवंदतियो के के अनुसार महाराणा प्रताप के जन्म के समय मेवाड़ युद्ध स्थिती में था, और मेवाड़ पर खतरे के बादल मंडरा रहे और उस समय महाराणा प्रताप गर्भ में थे। 

माता जयवंताबाई, पाली के महाराजा सोनगरा अखेराज की पुत्री थी जो कि जोधपुर के शक्तिशाली राठौड़ राजा मालदेव के विश्वसनीय सामंत थे। जिस कारण से महाराणा प्रताप की मां जयवंतीबाई उनकी सुरक्षा की दृष्टि से अपने मायके पाली चली गई थी। पाली के राजमहलों में ही महाराणा प्रताप का जन्म माना जाता है। वही महाराणा प्रताप का बचपन भील समुदाय के साथ युद्ध कला सीखते हुए गुजरा था जिस कारण से भील समुदाय के लोग उन्हें कीका के नाम से भी पुकारते थे। क्योंकि भील समुदाय में पुत्रों को कीका कहकर पुकारा जाता हैं। 

महाराणा प्रताप के बारे में लिखने वाले ऐसे कई इतिहासकार है जिन्होनें उनके जीवन के बारे में कई लेख लिखे हैं, जिनमे से प्रसिद्ध एक लेख –

” सूरज का तेज भी फीका पड़ता था,

जब राणा तुं अपना मस्तक ऊंचा करता था। 

थी राणा तुझमे कोई बात निराली 

इसीलिए अकबर भी तुझसे डरता था।। ” 

महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई? 

महाराणा प्रताप ने मुगल बादशाह अकबर के साथ कई युद्ध किए थे जिनमें से हल्दीघाटी का युद्ध प्रचलित है। इस युद्ध में महाराणा प्रताप मेवाड़ से लड़े थे किंतु इस युद्ध का कोई निष्कर्ष नहीं निकलता एवं और उन्हें घायल हो जाने के कारण जान बचाकर जाना पड़ जाता है। इसके बाद महाराणा प्रताप जंगलों में चले गए और वही अपने गृह राज्य को पाने के लिए तैयारियां करने लगे। माना जाता है अकबर की गुलामी के बजाय उन्होंने वही जंगलों में अपना जीवन जीना स्वीकार किया। 

उनकी मृत्यु के बारे में किवंदिति है कि महाराणा प्रताप अपने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा रहे थे। प्रत्यंचा के छूट जाने के कारण वह उनके सीने पर आ लगी जिसके कारण उन्हें गहरा घाव हो जाता है। इस घाव के कारण उनकी तबीयत बिगड़ जाती है और कुछ दिनों बाद 19 जनवरी 1597 (उम्र 56) में उनकी मृत्यु हो जाती है। 

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