FIR Full Form-“First Investigation Report” FIR का फुल फॉर्म होता है। एक डॉक्यूमेंट होता है जो पुलिस के द्वारा लिखा जाता है इसका हिंदी अर्थ प्रथम सूचना विवरण होता है।FIR शब्द पूरी दुनिया को पता है आज के समय में यह शब्द लोगों के लिए आम बात हो चुकी है क्योंकि इस समय में हर रोज किसी ना किसी से झगड़ा, चोरी, या अन्य किसी प्रकार का क्राइम हो रहा है।
भविष्य में कोई दुर्घटना या किसी भी प्रकार की आशंका से बचने के लिए हम एफ आई आर दर्ज करवाने जाते हैं। एफ आई आर दर्ज करवाने से हमारे जीवन में सिक्योरिटी बनी रहती हैं। हम एफ आई आर तब दर्ज करवाते हैं जब हमारे साथ कोई दुर्घटना या चोरी होती है या फिर किसी व्यक्ति के द्वारा यह गए क्राइम, या अन्य संबंधित मामलों में एफ आई आर दर्ज करवाते हैं।
FIR क्या है ? FIR Full Form
पुलिस अपनी मुहर और थाना अध्यक्ष किसान के साथ एक कॉपी शिकायत दर्ज कराने वाले को देती है और शिकायत करने वाला एफ आई आर में क्या लिखवाया है पुलिस कॉपी देने से पहले उसे पढ़कर सुनाती हैं।
उसके बाद शिकायत दर्ज कराने वाले का हस्ताक्षर करवाया जाता है और पुलिस एफ आई आर नंबर को रजिस्टर में दर्ज करके इस मामले पर उचित कार्यवाही प्रारंभ करती हैं। और एफ आई आर दर्ज होने के बाद कोई व्यक्ति किसी पर दबाव नहीं बना सकता है।
FIR दर्ज कैसे होता है ?
एफ आई आर एक लिखित डॉक्यूमेंट होता है जो हर देशों में जैसे – India, Pakistan, Japan, देशों में Cognizable Offense की सूचना पुलिस द्वारा प्राप्त होने पर तैयार किया जाता है।
किसी भी व्यक्ति के लिए किसी भी मामले को समझाने के लिए उसका पहला कदम एफ आई आर होता है। एफ आई आर लिखवाना पुलिस जांच के लिए अति आवश्यक होता है और यह पुलिस के द्वारा ही लिखी जाती है।
किसी भी व्यक्ति द्वारा थाने में जाकर अपराध की कोई भी सूचना लिखित या मौखिक रूप से देने पर एफ आई आर दर्ज होता है।
कभी-कभी अपराध की सूचना थाना को मोबाइल एवं फोन के माध्यम से दी जाती है । बाद में लिखित सूचना दी जाती है। स्पीड पोस्ट या रजिस्टर्ड पोस्ट से भी अपराध की शिकायत/सूचना दी जाती है। भारत के कुछ राज्यों में ऑनलाइन FIR दर्ज करने की भी व्यवसथा हैं। FIR दर्ज करने का कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। FIR दर्ज करवाने में कोई सरकारी शुल्क नहीं लगता है।
आपके द्वारा किसी भी प्रकार का कोई भी crime हो जाता है, तो कोई दूसरा व्यक्ति आपके खिलाफ आपसे किसी भी प्रकार की Information प्राप्त किये बिना ही पुलिस में FIR दर्ज करा सकता है, और वहीं यदि आपको किसी के खिलाफ FIR दर्ज करानी होती है, और आप स्वयं जाकर FIR नहीं दर्ज कराना चाहते हैं, तो आपका घटना का चश्मदीद या कोई रिश्तेदार भी आपकी FIR दर्ज करा सकता है
क्योंकि Emergency की स्थिति में पुलिस फोन कॉल या ई-मेल के आधार पर भी FIR दर्ज कर सकती है. लेकिन इसके लिए आपको पुलिस को घटना की तारीख और समय एवं आरोपी का पूरा विवरण देना होता है , क्योंकि FIR दर्ज कराने में इन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है.FIR दर्ज होने के बाद Complainant को इसकी मुफ्त में एक कॉपी भी प्रदान की जाती है. FIR में लिखा क्राइम नंबर भविष्य में रेफरेंस के तौर पर उपयोग में लाया जाता है. FIR की कॉपी पर थाने की मुहर व Police officer के हस्ताक्षर होने अति आवश्यक है.
FIR दर्ज कराने का नियम क्या है ?
- वह Primary व्यक्ति जो कोई भी Crime committed के बारे में जानकारी रखता हो।
- पुलिस द्वारा FIR तब नोट की जाये जब Registered द्वारा Crime की मौखिक जानकारी पुलिस को दी गयी हो।
- पीडि़त या FIR Registered को पूरा अधिकार है कि वह अपने द्वारा दर्ज करायी गयी FIR को पढ़ सके व अपनी एक कोपी मांग सके ।
- जानकारी दर्ज होने के बाद FIR करवाने वाले के हस्ताक्षर FIR पर कराये जाते हैं।
FIR दर्ज करते समय आपके भी कुछ अधिकार होते हैं, जैसा की आप पर पुलिस या अन्य कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का कोई दबाव नही बना सकता है, दोस्तों आपको पता होना चहिए आपके द्वारा दर्ज की गई FIR को आपके दस्तखत करवाने से पहले पढ़ कर सुनाना या आपको पढ़ने की अनुमति देना पुलिस की जिम्मेदारी है, और ये आपका हक़ है, FIR को सही से सुनने या पढ़ने के बाद यदि आपको लगे कि आपके द्वारा दी गई सभी information सही व स्पष्ट रूप में इस FIR पुलिस के द्वारा दर्ज की गई है तो आप signature कर सकते हैं अन्यथा उचित बदलाव के लिए भी कह सकते हैं।
FIR किन मामलों में दर्ज होती है ?
Crime दो तरह के होते हैं .असंज्ञेय और संज्ञेय अपराध. असंज्ञेय Crime- असंज्ञेय Crime मामूली Crime होते हैं मसलन मामूली मारपीट आदि के मामले असंज्ञेय Crime होते हैं. ऐसे मामले में सीधे तौर पर FIR नहीं दर्ज की जा सकती, बल्कि शिकायत को Magistrate को रेफर किया जाता है और Magistrate इस मामले में आरोपी को समन जारी कर सकता है. फिर मामला शुरू होता है.
यानी ऐसे मामले में चाहे जूरिस्डिक्शन हो या न हो किसी भी हाल में केस दर्ज नहीं हो सकता. संज्ञेय Crime- दूसरा मामला संज्ञेय Crime का होता है, जो गंभीर किस्म के Crime के होते हैं. ऐसे मामले में गोली चलाना, मर्डर व रेप आदि होते हैं, जिनमें सीधे FIR दर्ज की जाती है. CRPC की धारा-154 के तहत पुलिस को संज्ञेय मामले में सीधे तौर पर FIR दर्ज करना जरूरी होता है।
FIR स्मार्टफोन से कैसे करें ?
यदि आपका मोबाइल, बाइक या फिर कार चोरी हो गया है. तो इस स्थिति में आपको सबसे पहले अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन पर जाकर एक FIR दर्ज करवाना होता है. क्योंकि यदि किसी कारणवश आपकी बाइक, कार या मोबाइल चोरी होने के बाद वो किसी क्राइम में लिप्त पाई जाती है. तो इसके लिए आपको जिम्मेदार माना जायेगा।
इसलिए ऐसी स्थिति में आपको एक FIR जरूर दर्ज करवाना चाहिए. लेकिन अब ये काम आप मोबाइल से भी कर सकते है. तो आइए जानते है कैसे?
- ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाने के लिए आप सबसे पहले अपने राज्य के पुलिस की वेबसाइट पर चले जाएं. उदाहरण के तौर पर मैं Mumbai को ले रहा हु. तो गूगल में Online FIR Delhi लिख कर सर्च करे। Mumbai Police
- इसके बाद पहले वाले लिंक को ओपन करे और Lost & Found पर क्लिक करके Lost Article Report पर टैप करें
- अब इसमें से Register पर क्लिक करके अपना नाम, पिता का नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, खोने की तारीख उसके बाद क्या खोया है. Lost Article पर टैप करके किसी एक को चुने. उसके बारे में थोड़ा सा वाक्य लिखे।
- जैसे कार है तो उसका नंबर, कैसे चोरी हुआ? कहा से चोरी हुआ? आदि लिखकर नीचे दिए गए Captcha कोड को भरकर सबमिट कर दे।अब पुलिस आपके द्वारा दिये गए FIR पर उचित कार्यवाही करना शुरू कर देगी।