Gandhi Ji ka Janm kab hua tha

आज के हमारे आर्टिकल में हम आपको Gandhi Ji  Ka Janam Kab Aur Kaha Hua से संबंधित जानकारी देंगे।

आज हम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

Gandhi Ji ka janm kab hua Thaमहात्मा गांधी जी का जन्म कब और कहां हुआ?

महात्मा गांधी पेशे से एक वकील थे और उन्होंने अपनी सूझबूझ, अपने आदर्श, अपनी सत्य, अहिंसा तथा शांति की विचारधारा के बल पर भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाया था।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी जी (Gandhi ji Full name in Hindi) था। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

महात्मा गांधी जी का संक्षिप्त परिचयShort introduction of Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक सशक्त नेता के रूप में उभरे और उन्होंने सत्याग्रह के माध्यम से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने की पहल की और सफल भी रहे। महात्मा गांधी ने सबसे पहला सत्याग्रह के आधार पर दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों को अधिकार के संदर्भ में न्याय दिलाने की पहल की। यह सत्याग्रह आंदोलन 1915 में समाप्त हो गया और महात्मा गांधी भारत वापस आ गए।

भारत आने के बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानों से अधिक लगान लेने की समस्या को दूर करने के लिए किसानों की मदद की और अधिक लगान की समस्या को दूर किया।वर्ष 1921 से महात्मा गांधी ने भारतीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और महिलाओं के अधिकार तथा धर्मनिरपेक्ष भारत के विकास में महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाएं।

महात्मा गांधी जी ने विशेष रुप से सन 1930 में नमक सत्याग्रह की शुरुआत की। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए जा रहे अधिक कर को खत्म करने के लिए शुरू किया गया था और यह महात्मा गांधी के महत्वपूर्ण सत्याग्रह में से एक माना जाता है।

महात्मा गांधी जी के जीवन का सबसे बड़ा आंदोलन 1942 में शुरू हुआ जो भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जाना गया। भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ भारतवासी तथा मुख्य स्वतंत्रता सेनानी भी शामिल रहे। भारत छोड़ो आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त कराना था। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य में विश्वास रखते थे। इसीलिए उन्होंने भूख हड़ताल करके इस आंदोलन पर विजय पाई।

महात्मा गांधी जी का जीवन और शिक्षाMahatma Gandhi’s Life and Education

महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में जन्मे थे। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। करमचंद गांधी जी काठियावाड़ रियासत पोरबंदर के दीवान थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। उनकी माताजी परनामी वैश्य समुदाय से संबंध रखती थी और इसी कारण जैन समुदाय के रीति रिवाज से महात्मा गांधी जी को बहुत कुछ जानने और समझने को मिला। इस जानकारी में महात्मा गांधी ने शाकाहारी जीवन, बेहतर जीवन के लिए उपवास, आपस में भाईचारा तथा सहिष्णुता आदि शामिल थी।

गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए तथा वकालत में शिक्षा हासिल करने के लिए वह लंदन यूनिवर्सिटी में दाखिल हो गए। गांधी जी अपनी माता के विचारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने लंदन में शाकाहारी भोजन की नींव रखी और शाकाहारी भोजनालय की तरफ लोगों को अग्रसर किया।

गांधी जी की इस पहल को देखते हुए भारतीय मूल के सदस्यों ने गांधीजी को शाकाहारी सदस्यता के भी अवसर प्रदान किए। विदेश में शिक्षा हासिल करते हुए भी महात्मा गांधी ने मांसाहारी भोजन को नहीं अपनाया और शाकाहारी बौद्धिकता को अपनाकर ही वह शाकाहारी बने रहे और लोगों को भी शाकाहारी बौद्धिकता की अहमियत समझाई।

महात्मा गांधी जी ने बड़े स्तर पर शाकाहारी सदस्यता को प्राप्त किया और लंदन में कई शाकाहारी संस्थान खुलवाएं। महात्मा गांधी की शाकाहारी बौद्धिकता से ना केवल भारतीय बल्कि अंग्रेज भी प्रसन्न हुए थे।

गांधी जी के सिद्धांत

गांधीजी एक ज्ञानी, शांत और अहिंसक विचारधारा वाले व्यक्ति थे। गांधी जी ने अपने जीवन में कई बड़े आंदोलन सत्याग्रह की नींव पर लड़े और उन्हें सफलता भी हासिल की है। गांधीजी एक शुद्ध शाकाहारी तथा बहुत ही सरल व्यक्ति थे। वह केवल धोती पहनते थे और साबरमती आश्रम में वक्त मिलने पर चरखा भी चलाते थे। गांधीजी के अपने कई मुख्य सिद्धांत है जो आज तक भारत में कई लोग मानते हैं और अपने जीवन में गांधी के सिद्धांत के बल पर ही परिवर्तन लाते हैं। गांधीजी के सिद्धांत इस प्रकार हैं-:

  • सत्य

गांधीजी के सिद्धांत में सत्य बोलना महत्वपूर्ण सिद्धांत में से एक है। गांधीजी ने सदैव सत्य का सहारा लिया फिर चाहे उनके सामने कितनी ही कठिन परिस्थितियां क्यों नहीं थी। गांधीजी ना केवल सत्य के विचारधारा स्वयं पर लागू करते थे बल्कि वह अपने आसपास निवास कर रहे व्यक्ति को भी सत्य की दिशा पर चलने का मार्ग दिखाते थे।

उनका मानना था कि सच का साथ देने वाला ही किसी भी परिस्थिति में विजय हासिल करता है। सत्य को व्यापक रूप से समझाने तथा लोगों को सत्य की महत्ता बताने के लिए उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम सत्य के प्रयोग दिया और  सत्य का पूर्ण रूप से बखान किया। उनका एक वाक्य -:

भगवान ही सत्य है।

इस प्रकार महात्मा गांधी जी ने सत्य के प्रभाव से लोगों को अवगत कराया

  • अहिंसा

गांधीजी अहिंसा में विश्वास रखने वाले और राजनीतिक क्षेत्र में अहिंसा विचारधारा को वैश्विक रूप से प्रयोग करने वाले पहले राजनेता थे। उन्होंने अपने जीवन में जितने भी संघर्ष और आंदोलन पर विजय हासिल की वह सब अहिंसा के बल पर ही पूर्ण हुए।

गांधीजी का केवल एक ही सिद्धांत है कि किसी भी लड़ाई या हक को हिंसा के बल पर प्राप्त नहीं किया जाता बल्कि अहिंसा से कई समस्याओं का हल निकलता है तथा सामने वाला पक्ष आपकी बात को समझने का प्रयास जरूर करता है। एक अहिंसक व्यक्ति का व्यक्तित्व अन्य लोगों से भिन्न होता है क्योंकि वह किसी भी हिंसा का सहारा नहीं लेकर शांति से अपनी बात और अपने पक्ष को विपक्ष के सामने रखता है।

गांधीजी की हत्या

गांधी जी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली से बिरला भवन में चहल कदमी करते हुए नाथूराम गोडसे द्वारा की गई थी। नाथूराम गोडसे हिंदू राष्ट्रवादी थे जिनके संबंध हिंदू कट्टरपंथी महासभा के साथ थे। वह गांधी जी को पाकिस्तान के भुगतान के मुद्दे पर दोषी मानते थे। गांधी जी की हत्या करने के जुर्म में नाथूराम गोडसे और उनके साथियों को कड़ी कार्रवाई के बाद फांसी की सजा दी गई।

इस आर्टिकल में हमने आपको महात्मा गांधी जी से संबंधित जानकारी प्रदान की है। उम्मीद करते हैं आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा।

Leave a Comment