Veto Full Form In Hindi | वीटो पावर क्या है?

Veto Full Form-पूरे विश्व में अब तक दो बार विश्व युद्ध हो चुका है जिसके कारण कई सारे बेगुनाह लोग मारे गए और इससे लोगों को बहुत नुकसान होगा। इस प्रकार के विश्व युद्ध से देश की संपत्ति और संसाधनों में बहुत गहरा असर होता है इसीलिए बड़े बड़े कई सारे देशों ने मिलकर एक संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना किया जिससे इस प्रकार का युद्ध भविष्य में ना हो सके। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 1945 में किया गया था और उस समय इस राष्ट्र संघ में 51 की संख्या में मेंबर्स थे लेकिन अब धीरे-धीरे बढ़ कर के अब 193 की संख्या में मेंबर्स बढ़ चुके हैं।

बिटो को अगर लोकतांत्रिक माना जाता है क्योंकि यह शक्ति जो है यह अमेरिका यूके चीन रूस और फ्रांस को असीमित अधिकार देती है पूरी दुनिया पर लागू होने वाले कानूनों के संदर्भ में लेकिन सीटों के पक्ष में कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए यह आवश्यक है साथ में दुनिया में अमेरिकी प्रभुत्व कायम हो सके इसलिए 5 देशों के पास जो यह मुख्य रूप से पांच देश है इन पांचों देशों के पास वीटो की शक्ति देना अनिवार्य है विशेष बात यह है कि यह जो पांच देश है यह वही देश है जो तृतीय विश्व युद्ध में जीते थे यानी कि मित्र देशों में

Veto Full Form – Veto Power क्या है

वीटो एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब होता है – “मैं अनुमति नहीं देता”, यू एन ए सी के अंतर्गत पांच ऐसे देश आते हैं जिनको स्थाई रूप से वीटो पावर दिया गया है और 10 ऐसे देश आते हैं जिनको अस्थाई रूप से  वीटो पावर दिया गया है। वीटो पावर में एक अधिकारी ऐसा रहता है जो किसी देश के अधिकारी को एकतरफा रूप से किसी कानून के द्वारा रोक सकता है।

UNSC का फुल फॉर्म होता है-

U – United

N – Nation

S – Security

C – Council

5 ऐसे स्थाई देश जिनको Veto Power दिया गया है-

  • चीन
  • फ्रांस
  • रूस
  • ब्रिटेन
  • संयुक्त राज्य अमेरिका

यही पांच ऐसे देश हैं जिन्हें वीटो पावर दिया गया है। वीटो पावर का मतलब यह होता है कि अगर किसी सरकार के द्वारा लिया गया फैसला वीटो पावर के अधिकारियों को गलत लगता है या फिर अनुचित लगता है तो वह इसका विरोध कर सकता है।

वीटो पावर का प्राचीन इतिहास क्या है-

रोम के जो पुराने अधिकारी होते थे वे इस वीटो पावर का प्रयोग किया करते थे। जब सरकार कोई फैसला लेता था तब अगर अधिकारियों को यह फैसला उचित नहीं लगता था या फिर सही नहीं लगता था तो वे इस फैसले का विरोध कर सकते थे। वर्तमान समय में भी वीटो पावर का प्रयोग इसी प्रकार से किया जाता है जब सरकार के द्वारा लिया गया फैसला सही नहीं होता है तो वीटो पावर के अधिकारी इस फैसले का विरोध करने लगते हैं।

वीटो पावर का प्रयोग किस तरह से होता है-

पाकिस्तान का एक जासूस था जिसका नाम मकसूद अजहर था जिन्होंने मुंबई में बम ब्लास्ट करवाया था। इसके बाद भारत चाहता था कि मकसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाए। इसके लिए भारत में वीटो के अधिकारियों से बात किया और इसके लिए लगभग सभी देशों ने मकसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने के लिए तैयार थे लेकिन चीन उसका साथ दे रहा था इसके वजह से मकसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नहीं घोषित किया गया तो इस प्रकार से वीटो पावर का प्रयोग किया जाता है।

वीटो पावर का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब वीटो पावर प्राप्त देशों का आपसी मत समान हो। जब किसी मुद्दे पर तीन बार वीटो पावर का प्रयोग कर लिया जाता है और उस फैसला नहीं निकलता है तो उस फैसले को निरस्त कर दिया जाता है।

वीटो पावर लेने के लिए क्या जरूरी है-

आप जानते हैं कि अगर कोई देश वीटो पावर लेना चाहता है तो वह किस तरह से ले सकता है इसके लिए क्या कुछ क्राइटेरिया है अब ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जो कंट्रीब्यूटर पावर की डिमांड कर रहा है उसे वीटो पावर मिलेगी ही मिलेगी। इसके लिए बहुत सारी आवश्यकता है उसमें बहुत सारे जरूरी चीज होते हैं जैसे कि अगर कोई कंट्री वीटो पावर लेना चाहता है तो उसे आर्थिक रूप से काफी समृद्ध होना होगा इसका मतलब यह है कि वह कंट्री आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध होनी चाहिए सरल शब्दों में कहें तो ऐसा देश की जीडीपी काफी कम है जो काफी गरीब है वह कभी भी वीटो पावर नहीं ले सकता।

एनएससी यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के अंदर जो 15 कंट्रीज हैं जिनमें से 5 कंट्री को परमानेंट वीटो पावर मिली हुई है। इसके नॉन परमानेंट टैटू इन पांचों परमानेंट कंट्रीज की अनुमति जरूरी है मतलब अगर यह 5 कंट्री सहमत हैं कि किसी कंट्री को वीटो पावर देने के लिए तभी उसे वीटो पावर मिल सकती है और सिर्फ इतना होना भी काफी नहीं है जो बाकी 10 नॉन परमानेंट कंट्रीज हैं

उनका भी दो तिहाई बहुमत जरूरी है मतलब कि इन कंट्रीज में से अगर मिनिमम 7 कंट्री इसके लिए राजी होती हैं और पांच यह जो परमानेंट वीटो पावर वाली कंट्रीज है अगर यह भी राजी होती है तब उस कंट्री को वीटो पावर मिलती है। अब जैसा कि इंडिया में है इंडिया को पावर देने के लिए सहमति दे दी है लेकिन चीन एक मात्र ऐसी देश है जो कि इसके लिए परमिशन नहीं दे रहा है इसी वजह से इंडिया वीटो पावर प्राप्त नहीं कर पा रहा है।

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वीटो पावर का यूज़ किस कंट्री ने कितनी बार किया है-

अब जान लेते हैं कि वीटो पावर का यूज किस कंट्री ने कितनी बार किया है और सबसे पहले वीटो पावर का यूज कब किया गया था। 1920 में लीग ऑफ नेशंस की स्थापना के बाद ही वीटो पावर वजूद में आया था उस समय लीग काउंसिल के स्थाई और अस्थाई उनकी परमानेंट परमानेंट सभी प्रकार के सदस्यों के पास वीटो पावर थी। 16 फरवरी 1946 को सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ जिसको एसएसआर के नाम से जाना जाता था।

पहली बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया था मतलब इस्तेमाल पहली बार 16 फरवरी 1946 को किया गया था कि आप जरूर याद रखना सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। रूस ने वीटो पावर का सबसे ज्यादा प्रयोग किया है। रूस में 141 बार वीटो पावर का प्रयोग किया है और दूसरे स्थान पर आता है संयुक्त राज्य अमेरिका जिन्होंने 83 बार वीटो पावर का प्रयोग किया है।

यूनाइटेड किंगडम ने कुल 32 बार अब तक प्रयोग किया है इसके बाद चौथे नंबर पर आता है फ्रांस जिस ने कुल 18 बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है और फाइनल लास्ट नंबर पर आता है चाइना जिसने अब तक कुल 15 बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है।

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